श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र में, आधी रात को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
इस दिन भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात में श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। मध्यरात्रि के समय कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है,
श्रीकृष्ण को भगवद गीता के रचयिता माना जाता है, जिसमें उन्होंने अर्जुन को जीवन और धर्म के गूढ़ रहस्यों को समझाया
मथुरा, वृंदावन और गोकुल में जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यहां श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का विशेष रूप से मंचन होता है।
जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ किया जाता है, जिसमें श्रीकृष्ण के जीवन की कथाओं का वर्णन है।
श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष श्रृंगार किया जाता है। भगवान को नए वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है।
जन्माष्टमी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है। इस्कॉन (ISKCON) के मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष आयोजन होता है,